चोटी की पकड़–35
नौ
राजा राजेंद्रप्रताप राजधानी में एजाज के साथ रह रहे हैं। उसी रोज आ गए।
गढ़ के बाहर एक बड़े तालाब के बीच में टापू की तरह सुंदर बँगला है। चारों तरफ से लोहे की मोटी-मोटी छड़ें गाड़कर पुल की तरह सुंदर रेलिंगदार रास्ते बनाए गए हैं।
तालाब के किनारे-किनारे चारों रास्तों के प्रवेश पर ड्योढ़ियां बनी हुई हैं, वहाँ पहरे लगते हैं। बाहर, दूर तक सुंदर राहें, दूब जमायो हुई, तरह-तरह के सीज़नल और खुशबूदार फूल, क्यारियाँ, कुंज, बगीचे, चमन।
कटीले तारों से अहाता घिरा हुआ; तारों पर बेल चढ़ायी हुई। हवा भी सदा-बहार, हर झोंके से सुगंध आती हुई। तालाब का जल स्वच्छ, स्फटिक के चूर्ण की तरह।
बँगले का फर्श संगमारवर का, डबल दरवाजे-एक काउ का, एक शीशेदार, रेशमी परदे लगे हुए। बैठक के फर्श पर बहुमूल्य कारपेट बिछा हुआ। कीमती बाजे, पियानो, हारमो नियम फ्लूट, क्लेरिअनेट, वायलिन्, सितार, सुरबहार, मृदंग, तबले, जोड़ी आदि यथास्थान रखे हुए। बेशकीमत कौच, सोफ़े, चीनी फूलदानी में सज्जित फूलों की मेज़ों के किनारे, एक-एक बग़ल लगे हुए। बीच में गद्दी बिछी हुई, गाव लगे हुए। रात में बत्तियों का तेज़ प्रकाश। चाँद और तारों के साथ प्रकाश का बिंब पानी में चमकता, चकाचौंध लगाता हुआ।
चारों तरफ से विशाल बरामदा, हर तरफ की राह से एक ही प्रकार का। हर बरामदे के भीतर बैठक एक ही प्रकार की, सजावट भिन्न-भिन्न। दो एजाज के अधिकार में हैं, दो राजा साहब के। और भी कमरे हैं। एजाज की बैठकें रोज़ नए परदों से सजायी जाती हैं; सूती, रेशमी, मखमली झालरदार; हरे, नीले, जर्द, बसंती, बैंगनी, लाल, गुलाबी, हल्के और गहरे रंग के; कभी सफ़ेद। कोच और सोफ़ों पर भी वैसा ही ग़िलाफ़ बदलता हुआ। फूलदानियों में उसी रंग के फूलों की अधिकता। एजाज के बदन पर उसी रंग के पत्थरों के जेवर। उसी रंग की साड़ी, सलवार-कुर्ता या पाजामा-दुपट्टा।
राजा साहब अपनी बैठक में बैठे हुए हैं। दिलावर सिंह पहले से तैनात किया हुआ था, आया। कहा, "प्रभाकर आ गए।"
जागीरदार साहब ने कहा, "ये सब तुम्हारे तरफदार हैं। इनसे भी काम लिया गया है। पुलिस के जिन लोगों ने तुम लोगों को गिरफ्तार करना चाहा था, बाद को शिनाख्त न हो पाने की वजह-(तुमने दाढ़ी मुड़वा दी थी और रामफल का मुसलमानी नाम रख लिया गया था-रूप भी कैसा बनाया गया।)-थाने से उनका तबादला हो गया था, इन्होंने उन्हें खोजकर निकाला और पूरी खबर ली। अब इन्हें छिपा रखना है। दीवार को भी पता न चले। पुलिस पकड़ना चाहती है। ये पकड़ गए तो बच न पाओगे।"